बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र हिंदू धर्म में एक अत्यंत पूजनीय भक्ति गीत है, जो बल, भक्ति और निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक भगवान हनुमान को समर्पित है। संस्कृत में रचित यह शक्तिशाली स्तोत्र भक्तों को शारीरिक और आध्यात्मिक बंधनों से मुक्त करने की दिव्य शक्ति रखता है। “बंदी मोचन” का अर्थ है “बंदियों का मुक्तिदाता”, जो हनुमान जी की रक्षक भूमिका को दर्शाता है। भक्तगण बाधाओं को दूर करने, नकारात्मक ऊर्जाओं को भगाने और आध्यात्मिक स्वतंत्रता पाने के लिए गहरी श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करते हैं। इसके श्लोक हनुमान जी के असाधारण गुणों, श्री राम के प्रति उनकी अटूट भक्ति, और उनके वीरतापूर्ण कार्यों का सुंदर वर्णन करते हैं, जो श्रद्धालुओं को अपने जीवन में ऐसे ही गुण विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
Bandi Mochan Hanuman Stotra Lyrics – बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र
॥ बंदी मोचन हनुमान स्तोत्र॥
बन्दी देव्यै नमस्कृत्य वरदाभय शोभितम् ।
तदाज्ञांशरणं गच्छत् शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
बन्दी कमल पत्राक्षी लौह श्रृंखला भंजिनीम्।
प्रसादं कुरु मे देवि! शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
त्वं बन्दी त्वं महा माया त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती।
त्वं देवी रजनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
त्वं ह्रीं त्वमोश्वरी देवि ब्राम्हणी ब्रम्हा वादिनी।
त्वं वै कल्पक्षयं कर्त्री शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
देवी धात्री धरित्री च धर्म शास्त्रार्थ भाषिणी ।
दुः श्वासाम्ब रागिणी देवी शीघ्रं मोचं ददातु मे।
नमोस्तुते महालक्ष्मी रत्न कुण्डल भूषिता ।
शिवस्यार्धाग्डिनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
नमस्कृत्य महा-दुर्गा भयात्तु तारिणीं शिवां।
महा दुःख हरां चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे ॥
इंद स्तोत्रं महा-पुण्यं यः पठेन्नित्यमेव च।
सर्व बन्ध विनिर्मुक्तो मोक्षं च लभते क्षणात् ॥