Surya Stotra - सूर्य स्तोत्र

सूर्य स्तोत्र Surya Stotra

सूर्य स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रार्थना है, जो सूर्य देव को समर्पित है। यह स्तोत्र सूर्य की शक्ति, तेज और महिमा का गुणगान करता है। इसमें सूर्य देव के विभिन्न नामों और गुणों का उल्लेख किया जाता है, जैसे आदित्य, भास्कर, रवि और दिवाकर। सूर्य स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को स्वास्थ्य, ऊर्जा, सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। यह स्तोत्र अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाने की प्रार्थना भी है। कई लोग सूर्योदय के समय इस स्तोत्र का पाठ करते हैं, जिससे दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा के साथ होती है। सूर्य स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है।

Surya Stotra Lyrics – सूर्य स्तोत्र

सूर्य स्तोत्र॥

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।१।।

प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।२।।

प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।३।।

ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्नेः ।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।४।।

सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात्।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।५।।

Scroll to Top