शनि स्तोत्र - Shani Stotra

Shani Stotra शनि स्तोत्र

शनि स्तोत्र (Shani Stotra) एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक पाठ है, जिसे ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माने जाने वाले शनि देव की स्तुति के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र, हनुमान जी के परम भक्त दशरथ द्वारा रचित माना जाता है, जो शनि देव के कोप को शांत करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। शनि देव की कृपा से मनुष्य के जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और बाधाएं दूर होती हैं।

Shani Stotra Lyrics – शनि स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।१।।

नमो निर्मासदेहाय दिर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्रायशुष्काय भयाक्रते ।।२।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्ने च वै पुन: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्राय ते नम: ।।३।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्षाय वैनम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने ।।४।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुखाय ते नम: ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्कराऽभयदाय च ।।५।।

अधोद्रष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तकाय ते नम: ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ।।६।।

तपसा दग्ध देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।।७।।

ज्ञानचक्षुष्मते तुभ्यं काश्यपात्मजसूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।८।।

देवासुरमनुष्याश्य सिद्धविद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति च मूलतः ।।९।।

प्रसादं कुरु मे देव वरार्होऽस्मात्युपात्रत: ।
मया स्तुत: प्रसन्नास्य: सर्व सौभाग्य दायक: ।।१०।।

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