श्री मारुति स्तोत्र - Maruti Stotra

श्री मारुति स्तोत्र Maruti Stotra

श्री मारुति स्तोत्र एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। यह स्तोत्र उनकी अद्भुत शक्ति, बुद्धि और भक्ति का वर्णन करता है। इसे पढ़ने से मन में साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भक्त इस स्तोत्र का पाठ करके भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति पाते हैं। संस्कृत में रचित इस स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक में हनुमानजी की भक्ति, पराक्रम और दिव्यता का सुंदर विवरण दिया गया है। यह स्तोत्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

Maruti Stotra Lyrics – श्री मारुति स्तोत्र

श्री मारुति स्तोत्र॥

ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते प्रलयकालानलप्रभाप्रज्वलनाय ।

प्रतापवज्रदेहाय | अंजनीगर्भसंभूताय ।

प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षरक्षोगणग्रहबंधनाय ।

भूतग्रहबंधनाय । प्रेतग्रहबंधनाय । पिशाचग्रहबंधनाय ।

शाकिनीडाकिनीग्रहबंधनाय । काकिनीकामिनीग्रहबंधनाय ।

ब्रह्मग्रहबंधनाय । ब्रह्मराक्षसग्रहबंधनाय । चोरग्रहबंधनाय ।

माग्रहबंधनाय । एहि एहि । आगच्छ आगच्छ । आवेशय आवेशय ।

मम हृदये प्रवेशय प्रवेशय । स्फुर स्फुर । प्रस्फुर प्रस्फुर। सत्यं कथय ।

व्याघ्रमुखबंधन सर्पमुखबंधन राजमुखबंधन नारीमुखबंधन सभामुखबंधन

शत्रुमुखबंधन सर्वमुखबंधन लंकाप्रासादभंजन । अमुकं मे वशमानय ।

क्लीं क्लीं क्लीं ह्रीं श्रीं श्रीं राजानं वशमानय ।

श्रीं ह्रीं क्लीं स्त्रिय आकर्षय आकर्षय शत्रुन्मर्दय मर्दय मारय मारय चूर्णय चूर्णय खे खे

श्रीरामचंद्राज्ञया मम कार्यसिद्धिं कुरु कुरु

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं हैं ह्रौं ह्रः फट् स्वाहा

विचित्रवीर हनुमत् मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु ।

हन हन हुं फट् स्वाहा ॥

एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून् वशमानयति नान्यथा इति ॥

॥ इति श्री मारुति स्तोत्र संपूर्णम् ॥

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