माँ षोडशी, जिन्हें त्रिपुरा सुन्दरी के नाम से भी जाना जाता है, वह दस महाविद्याओं की एक हैं। उनकी आराधना से भक्तों को जीवन के सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। षोडशी माता के चारों हाथों में पाश, अंकुश, धनुष, और बाण सुशोभित होते हैं। उनकी कृपा से सभी प्रकार की विघ्न दूर होते हैं और अनमोल रत्नों की प्राप्ति होती है। उनकी अनुपम महिमा अकथनीय है और वह सदैव आशीर्वाद देने को तैयार रहती हैं। उनकी साधना से आत्मा में करुणा और शांति का संचार होता है।
Maa Shodashi Tripura Sundari Stuti Lyrics – माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तुति
॥ माँ षोडशी त्रिपुर सुन्दरी स्तुति॥
पंचप्रेत महाशव सिंहासन, उस पर खिले कमल दल ।
लाल रंग की दीप्तिमान, चतुरहस्ता त्रिलोचना ।
मस्तक पर राजे चंद्रमा, रत्न आभूषण धारिणी ।
बाला, त्रिपुरसुन्दरी, ललिता, माँ षोडशी…
हाथों से देती अभय मुद्रा, वर मुद्रा, धारण किये पुस्तक और अक्षमाला ।
पाश, अंकुश, वाण ,धनुष, धारण करनेवाली माँ ललिता ।
योग-भोग एक साथ दिलानेवाली ।
कामेश्वरी, वज्रेशवरी, भग़ मालिनी, ललिताम्बिका ।
माँ षोडशी…
बरबस आकर्षित करनेवाली, हर काम को पूरा करनेवाली ।
सदा नमन करते हैं उनका, सर्व उपास्या, तुरीया, माँ षोडशी…