नवग्रह स्तोत्रम् महर्षि वेद व्यास द्वारा रचित है। इसमें नौ ग्रहों की अर्चना के लिए श्लोक सम्मिलित हैं। ब्रह्माण्ड में नवग्रह सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली शक्तियाँ मानी जाती हैं, जो पृथ्वी पर मानव जीवन का समन्वयन करती हैं। प्रत्येक ग्रह को विशिष्ट गुणों के लिए उत्तरदायी माना जाता है, जो हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ उनकी पारस्परिक क्रियाओं के आधार पर, व्यक्ति अपने जीवन में शुभ या अशुभ परिणामों का अनुभव कर सकता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रार्थना के समय नवग्रह स्तोत्र का जप करें। इन नौ ग्रहों की पूजा से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति हो सकती है और उनकी उपस्थिति साधक और उसकी क्रियाओं पर शुभ प्रभाव डाल सकती है।
Navgraha Stotra Lyrics – नवग्रह स्तोत्र
॥ नवग्रह स्तोत्र॥
अथ नवग्रह स्तोत्र ।
श्री गणेशाय नमः ।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् ।
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।। १ ।।
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् ।। २ ।।
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् ।। ३ ।।
प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ।। ४ ।।
देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् ।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ।। ५ ।।
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् ।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् || ६ ॥
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ।। ७ ।।
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् ।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ।। ८ ।।
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् ।
रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ।। ९ ।।
इति श्रीव्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः ।
दिवा वा यदि वा रात्री विघ्न शांतिर्भविष्यति ।। १० ।।
नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्रनाशनम् ।
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम् ।। ११ ।।
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्रिसमुभ्दवाः ।
ता सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासोब्रुते न संशयः ।। १२ ।।
।। इति श्रीव्यास विरचितम् आदित्यादी नवग्रह स्तोत्रम संपूर्णं ।।