राहु स्तोत्र - Rahu Stotra

राहु स्तोत्र Rahu Stotra

राहु स्तोत्र एक प्राचीन वैदिक मंत्र-स्तोत्र है, जिसका उद्देश्य राहु ग्रह की शक्तियों को अनुकूल बनाना और उनके अशुभ प्रभावों को कम करना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक छाया ग्रह है, जो व्यक्ति के जीवन में अचानक परिवर्तन, मानसिक अशांति और कर्मफल से जुड़ी चुनौतियाँ ला सकता है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से राहु दोष का प्रभाव कम होता है और जातक को आध्यात्मिक एवं भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।

Rahu Stotra Lyrics – राहु स्तोत्र

राहु स्तोत्र॥

राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दनः ।।१॥

रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानु र्भानुभीतिदः ।
ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ।। २ ।।

कालदृष्टि: कालरूपः श्री कण्थहृदयाश्रयः ।
बिधुंतुदः सैंहिकेयो घोररूपो महाबलः ।। ३ ।।

ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदरः ।
पंचविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदानरः ।। ४ ।

यः पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम् ।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।। ५ ।

ददाति राहुस्तस्मै यः पठेत स्तोत्र मुत्तमम् ।
सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ।। ६ ।।

।। इति राहु स्तोत्र संपूर्णम् ।।

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