माँ शैलपुत्री देवी का स्तोत्र नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शैलपुत्री देवी, हिमालय की पुत्री और माँ पार्वती का एक रूप हैं। ‘शैल’ का अर्थ है पर्वत और ‘पुत्री’ का अर्थ है बेटी, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। देवी शैलपुत्री को वृषभ पर सवार, त्रिशूल और कमल धारण करते हुए चित्रित किया जाता है। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित होता है। यह स्तोत्र भक्तों को सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करने के लिए जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान, भक्त इस स्तोत्र का पाठ कर देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।
Shailputri Devi Stotram Lyrics – माँ शैलपुत्री देवी स्तोत्र
॥ माँ शैलपुत्री देवी स्तोत्र॥
!! ध्यान !!
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥
!! स्तोत्र !!
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।
सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥