श्री शिव पञ्चरत्न स्तुती, जिसकी रचना दिव्य भगवान श्री कृष्ण ने की है, एक अनुपम और पवित्र स्तुति है। इस स्तुति में पाँच श्लोक हैं, जो पाँच दिव्य रत्नों के समान शिव की गौरवगाथा का बखान करते हैं। शिव महापुराण के अनुसार, इस स्तोत्रम् का जप करने से भक्तों को आत्मिक सुख और ईश्वरीय आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। प्रत्येक श्लोक शिव के विभिन्न अवतारों और उनकी दिव्य शक्तियों को दर्शाता है, जो साधकों को आध्यात्मिक उत्कर्ष की दिशा में अग्रसर करते हैं। इस स्तोत्रम् का पाठ भक्ति-भाव से करना चाहिए, जिससे शिव की कृपा का लाभ उठाया जा सके।
Shiva Pancharatnam Stuti Lyrics – श्री शिव पञ्चरत्न स्तुती
॥ श्री शिव पञ्चरत्न स्तुती॥
श्रीकृष्ण उवाच
मत्तसिन्धुरमस्तकोपरि नृत्यमानपदाम्बुजम् ।
भक्तचिन्तितसिद्धिदानविचक्षणं कमलेक्षणम् ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं भवपद्मजाऽच्युतपूजितम् ।
कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम् ॥ १॥
वित्तदप्रियमर्चितं कृतकृच्छ्रतीव्रतपश्चरैः ।
मुक्तिकामिभिराश्रितैर्मुनिभिर्दृढामलभक्तिभिः ।
मुक्तिदं निजपादपङ्कजसक्तमानसयोगिनाम् ।
कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम् ॥ २॥
कृत्तदक्षमखाधिपं वरवीरभद्रगणेन वै ।
यक्षराक्षसमर्त्यकिन्नरदेवपन्नगवन्दितम् ।
रक्तभुग्गणनाथहृद्भ्रमराञ्चिताङ्घ्रिसरोरुहम् ।
कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम् ॥ ३॥
नक्तनाथकलाधरं नगजापयोधरनीरजा-
लिप्तचन्दनपङ्ककुङ्कुमपङ्किलामलविग्रहम् ।
शक्तिमन्तमशेषसृष्टिविधायकं सकलप्रभुम् ।
कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम् ॥ ४॥
रक्तनीरजतुल्यपादपयोजसन्मणिनूपुरम् ।
पत्तनत्रयदेहपाटनपङ्कजाक्षशिलीमुखम् ।
वित्तशैलशरासनं पृथुशिञ्जिनीकृततक्षकम् ।
कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम् ॥ ५॥
॥ फलश्रुतिः॥
यः पठेच्च दिने दिने स्तवपञ्चरत्नमुमापतेः ।
प्रातरेव मया कृतं निखिलाघतूलमहानलम् ।
तस्य पुत्रकलत्रमित्रधनानि सन्तु कृपाबलात् ।
ते महेश्वर शङ्कराखिल विश्वनायक शाश्वत ॥ ६॥
॥ इति श्रीशिवमहापुराणे च्युतपुरीमाहात्म्ये श्रीकृष्ण कृत श्रीशिवपञ्चरत्नस्तुतिः सम्पूर्णम् ॥