शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् - Shiva Pratah Smaran Stotram

शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रम् Shiva Pratah Smaran Stotram

शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रम् आदिशंकराचार्य द्वारा रचित एक दिव्य संस्कृत स्तोत्र है, जिसे प्रातःकाल के समय भगवान शिव का स्मरण करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र शिव की शांत, करुणामय और ज्ञानमयी रूप का वर्णन करता है, जो साधकों को मोक्ष की ओर प्रेरित करता है। इसे सुबह पढ़ने से दिनभर मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक बल की अनुभूति होती है। शिवप्रातःस्मरण स्तोत्रम् का पाठ जीवन को संतुलित, केंद्रित और उत्साह से भर देता है। यह शिवभक्तों और संस्कृत साहित्य प्रेमियों के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस स्तोत्र के अर्थ, लाभ और जप विधि को जानकर आप महादेव से अपनी आत्मा को गहराई से जोड़ सकते हैं। दैनिक साधना में इसे शामिल कर आध्यात्मिक जीवन को बल दीजिए।

Shiva Pratah Smaran Stotram Lyrics – शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रम्

शिव प्रातःस्मरण स्तोत्रम्॥

प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ १ ॥

प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्धदेहं सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम् ।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोभिरामं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ २ ॥

प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम् ।
नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ ३ ॥

प्रातः समुत्थाय शिवं विचिन्त्य श्लोकत्रयं येनुदिनं पठन्ति ।
ते दुःखजातं बहुजन्मसंचितं हित्वा पदं यान्ति तदेव शम्भोः ॥

॥ इति शिवप्रातःस्मरणस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

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