भारतीय संस्कृति में धर्म और आध्यात्मिकता महत्वपूर्ण हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में अनेक प्रकार के चालीसा, आरती और मंत्र स्थान प्राप्त किए हैं जो देवी-देवताओं की वंदना और उनकी कृपा को प्राप्त करने का एक माध्यम हैं। इसी तरह, श्री सूर्य चालीसा सूर्य देवता की पूजा और आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है। श्री सूर्य चालीसा एक प्रमुख चालीसा है जो सूर्य देवता को समर्पित है। इसे भगवान सूर्य की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। इस चालीसा के पाठ से हम सूर्य देवता की कृपा, सुख, समृद्धि, और शक्ति की प्राप्ति कर सकते हैं।
Surya Chalisa Hindi Lyrics – श्री सूर्य चालीसा पाठ
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग ।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग ॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर ॥१॥
भानु पतंग मरीची भास्कर, सविता हंस सुनूर विभाकर ॥२॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन ॥३॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते ॥४॥
सहस्त्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि ॥५॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर ॥६॥
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी ॥७॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते ॥८॥
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता सूर्य अर्क खग कलिकर ॥९॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै ॥१०॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं, मस्तक बारह बार नवावैं ॥११॥
चार पदारथ जन सो पावै, दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै ॥१२॥
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर को कृपासार यह ॥१३॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई ॥१४॥
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते ॥१५॥
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन ॥१६॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबल मोह को फंद कटतु है ॥१७॥
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते ॥१८॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देस पर दिनकर छाजत ॥१९॥
भानु नासिका वासकरहुनित, भास्कर करत सदा मुखको हित ॥२०॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे ॥२१॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्म तेजसः कांधे लोभा ॥२२॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर ॥२३॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्म सुउदरचन ॥२४॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटिमंह, रहत मन मुदभर ॥२५॥
जंघा गोपति सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा ॥२६॥
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी ॥२७॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे ॥२८॥
अस जोजन अपने मन माहीं, भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥२९॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै ॥३०॥
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता ॥३१॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही ॥३२॥
मंद सदृश सुत जग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके ॥३३॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा ॥३४॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटतसो भवके भ्रम सों ॥३५॥
परम धन्य सों नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी ॥३६॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मधु वेदांग नाम रवि उदयन ॥३७॥
भानु उदय बैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै ॥३८॥
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता ॥३९॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं ॥४०॥
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य ।
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य ॥
Surya Chalisa Lyrics in Hindi PDF सूर्य चालीसा
Surya Chalisa Lyrics in Hindi Image सूर्य चालीसा
Shree Surya Chalisa Hindi Audio-Video
Table of Contents
श्री सूर्य चालीसा के महत्वपूर्ण तत्व
श्री सूर्य चालीसा बहुत सारे महत्वपूर्ण तत्वों को समेटती है, जो हमें ध्यान में रखने चाहिए।
सूर्य देवता की पूजा का महत्व
जीवन दायनी सूर्य देव हमसभी जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे हमें प्रकाश, ऊर्जा, जीवन शक्ति, और ताप उपहार प्रदान करते हैं। श्री सूर्य चालीसा का पाठ करके हम सूर्य देवता की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
रोगों से मुक्ति
सूर्य देवता की पूजा से हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और हमारा स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है। श्री सूर्य चालीसा का पाठ करने से हमें रोगों से मुक्ति मिलती है और हम एक स्वस्थ और तंदुरुस्त जीवन जीने में सक्षम होते हैं।
श्री सूर्य चालीसा के लाभ
श्री सूर्य चालीसा का पाठ करने के लाभ अनेक हैं। यहां कुछ मुख्य लाभों की चर्चा की गई है:
समृद्धि और सफलता
श्री सूर्य चालीसा के पाठ से हमें समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। सूर्य देवता शक्तिशाली होते हैं और उनकी कृपा से हमारे कार्यों में सफलता मिलती है।
बुरी नजर से सुरक्षा
श्री सूर्य चालीसा का पाठ करने से हमें बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है। यह हमें सकारात्मक ऊर्जा से आवृत्त करता है और हमें सुरक्षित रखता है।
निष्कर्ष
श्री सूर्य चालीसा सूर्य देवता की वंदना और पूजा का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके पाठ से हमें सूर्य देवता की कृपा, सुख, समृद्धि, और ताप की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, श्री सूर्य चालीसा के पाठ से हमें अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे समृद्धि, सफलता, और स्वास्थ्य का संरक्षण। इसलिए, हमें नियमित रूप से श्री सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए और सूर्य देवता की कृपा को प्राप्त करना चाहिए।
FAQ’s (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
सूर्य चालीसा कब पढ़ी जानी चाहिए?
सूर्य चालीसा को दिन में किसी भी समय पढ़ा जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा समय सूर्योदय के समय होता है।
क्या सूर्य चालीसा को केवल हिंदी में ही पढ़ा जा सकता है?
नहीं, सूर्य चालीसा को किसी भी भाषा में पढ़ा जा सकता है। यह हमें सूर्य देवता की पूजा और आराधना के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या सूर्य चालीसा का नित्य पठन करने से धन वैभव की प्राप्ति होती है?
हां, सूर्य चालीसा का पाठ करने से हमें समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। सूर्य देवता धन का स्वामी माने जाते हैं और उनकी कृपा से हमें आर्थिक रूप से स्थिरता मिलती है।
क्या सूर्य चालीसा के पाठ से स्वास्थ्य सुधारता है?
हां, सूर्य चालीसा के पाठ से हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और हमारा स्वास्थ्य सुधारता है। यह हमें रोगों से मुक्ति प्रदान करता है और हमें स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाता है।
क्या सूर्य चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है?
जी हां, सूर्य चालीसा का पाठ करने से हमें शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है