शिवाष्टकम स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली संस्कृत स्तुति है, जिसमें भगवान शिव के दिव्य गुणों का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उनके रौद्र और सौम्य स्वरूपों की महिमा को उजागर करता है। शिवाष्टकम का नियमित पाठ साधक को मानसिक शांति, शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। यह श्लोक भक्तों को शिवतत्त्व के गहरे रहस्यों की अनुभूति कराता है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। शivashtakam का पाठ महाशिवरात्रि, सोमवार और श्रावण मास जैसे पवित्र अवसरों पर अत्यधिक फलदायी माना जाता है। शिव भक्तों के बीच यह स्तोत्र लोकप्रिय है और इसे श्रद्धा से गाया जाता है। इसका उच्चारण मन को शांत करता है और आत्मा को शिव से जोड़ता है।
Shivashtakam Stotra Lyrics – शिवाष्टकम स्तोत्र
॥ शिवाष्टकम स्तोत्र॥
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ १ ॥
गले रुण्ड मालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम् ।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ २ ॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तंमहा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।
अनादिंह्यपारं महा मोहमारं शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ ३ ॥
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासंमहापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ ४ ॥
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहंगिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् ।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ ५ ॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानंपदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् ।
बली वर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ ६ ॥
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रंत्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ ७ ॥
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं ।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥ ८ ॥
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणेपठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रंविचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥ ९ ॥
॥ इति शिवाष्टकम स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥