श्रीकृष्ण द्वादशनाम स्तोत्र एक दिव्य स्तोत्र है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के बारह पवित्र नामों का गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों को श्रीकृष्ण के विविध स्वरूपों और उनके दिव्य गुणों का स्मरण कराता है, जिससे मन में भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। द्वादश नामों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक संतुलन बना रहता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए उपयोगी है जो अपने दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता को स्थान देना चाहते हैं। श्रीकृष्ण के नामों का उच्चारण न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। नियमित पाठ से मनोबल बढ़ता है और जीवन में शुभता आती है।
Shri Krishna Dwadashnaam Stotra Lyrics – श्रीकृष्ण द्वादशनाम स्तोत्र
॥ श्रीकृष्ण द्वादशनाम स्तोत्र॥
किं ते नामसहस्रेण विज्ञातेन तवाऽर्जुन ।
तानि नामानि विज्ञाय नरः पापैः प्रमुच्यते ॥ १ ॥
प्रथमं तु हरिं विन्द्याद् द्वितीयं केशवं तथा ।
तृतीयं पद्मनाभं च चतुर्थं वामनं स्मरेत् ॥ २ ॥
पञ्चमं वेदगर्भं तु षष्ठं च मधुसूदनम् ।
सप्तमं वासुदेवं च वराहं चाऽष्टमं तथा ॥ ३ ॥
नवमं पुण्डरीकाक्षं दशमं तु जनार्दनम् ।
कृष्णमेकादशं विन्द्याद् द्वादशं श्रीधरं तथा ॥ ४ ॥
एतानि द्वादश नामानि विष्णुप्रोक्ते विधीयते ।
सायं-प्रातः पठेन्नित्यं तस्य पुण्यफलं शृणु ॥ ५ ॥
चान्द्रायण-सहस्राणि कन्यादानशतानि च ।
अश्वमेधसहस्राणि फलं प्राप्नोत्यसंशयः ॥ ६ ॥
अमायां पौर्णमास्यां च द्वादश्यां तु विशेषतः ।
प्रातःकाले पठेन्नित्यं सर्वपापैः प्रमुच्यते ॥ ७ ॥
॥ इति श्रीकृष्ण द्वादशनाम स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥