बगलामुखी स्तुति Baglamukhi Stuti

Baglamukhi Stuti - बगलामुखी स्तुति

बगलामुखी स्तुति (Baglamukhi Stuti) शक्ति उपासना का एक प्रभावशाली मंत्र है, जिसका जाप शत्रुओं को नष्ट करने और वाणी को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। यह मंत्र माँ बगलामुखी के आठवें महाविद्या को अर्पण किया गया है, जो भगवान शिव की दस महाविद्याओं में से एक हैं।

Baglamukhi Stuti Lyrics – बगलामुखी स्तुति

॥ बगलामुखी स्तुति॥

रत्न जड़े मणि मंडप के नीचे ।

पीले सिंहासन पर विराजमान ॥ १ ॥

पीली माला, पीताभरण, पीत परिधान ।

निशिदिन करूँ आपका ध्यान ॥ २ ॥

बाँये हाथ से बैरी की जिह्वा पकड़े ।

दायें हाथ में मुदगर गदा लिये ॥ ३ ॥

तिमिर मिटा कर, ज्ञान बढ़ा कर ।

आप करें मुझ पर उपकार ॥ ४ ॥

बगलामुखी माँ ।

त्रिविध ताप मिटानेवाली ॥ ५ ॥

शत्रु-गति को रोकनेवाली ।

उसकी वाणी हरनेवाली ॥ ६ ॥

नित्य रूपा, मंत्र रूपा, सुनेत्रा ,

जगन्माता, चंडिका, पीताम्बरा ॥ ७ ॥

बगलामुखी माँ!!