लक्ष्मी चालीसा, हिंदी में प्रणयांकर श्लोकों का संग्रह है, जो माँ लक्ष्मी, हिन्दू धर्म की धन और समृद्धि की देवी, की स्तुति करता है। चालीसा, संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है “चालीस” यानी चालीसा श्लोकों का समूह। माँ लक्ष्मी को श्रीविद्या, धनधान्यकारी, धनदायिनी, धनप्रदायिनी, विभूति, ऐश्वर्य, सौभाग्य, और समृद्धि की स्वरूपिणी माना जाता है। लक्ष्मी चालीसा भक्तों के द्वारा प्रार्थना और स्तुति के रूप में प्रयोग होती है ताकि माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। (See also Laxmi Chalisa in English).
लक्ष्मी चालीसा दोहा
॥ दोहा ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥
सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार॥ टेक॥
॥ सोरठा ॥
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।
सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि ॥ १ ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥ २ ॥
जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा ॥ ३ ॥
तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी ॥ ४ ॥
जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी ॥ ५ ॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी ॥ ६ ॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥ ७ ॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी ॥ ८ ॥
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता ॥ ९ ॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो ॥ १० ॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी ॥ ११ ॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥ १२ ॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥ १३ ॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥ १४ ॥
अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥ १५ ॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी ॥ १६ ॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई ॥ १७ ॥
तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई ॥ १८ ॥
और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई ॥ १९ ॥
ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई ॥ २० ॥
त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि ॥ २१ ॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै ॥ २२ ॥
ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥ २३ ॥
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना ॥ २४ ॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै ॥ २५ ॥
पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥ २६ ॥
सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै ॥ २७ ॥
बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥ २८ ॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं ॥ २९ ॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥ ३० ॥
करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा ॥ ३१ ॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी ॥ ३२ ॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं ॥ ३३ ॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे ॥ ३४ ॥
भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी ॥ ३५ ॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी ॥ ३६ ॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में ॥ ३७ ॥
रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥ ३८ ॥
कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई ॥ ३९ ॥
रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी ॥ ४० ॥
॥ दोहा ॥
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥
रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥
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Table of Contents
लक्ष्मी चालीसा क्या है?
लक्ष्मी चालीसा एक प्रार्थना-पाठ है जिसमें माता लक्ष्मी की स्तुति, महिमा और कृपा की प्रार्थना की जाती है। इस चालीसा के पाठ से भक्त लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं। यह चालीसा 40 पंक्तियों से मिलकर बनी होती है और इसे विशेष अवसरों पर पाठ किया जाता है।
माँ लक्ष्मी चालीसा की संरचना, रचना और रचनाकार
माँ लक्ष्मी चालीसा की रचनाकार रामदास जी ने कुल चालीस श्लोको मैं की है। इसमें चालीस छंद या चौपाई शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक हिंदी में रचित है। ये छंद एक काव्यात्मक प्रारूप में लिखे गए हैं और इस तरह से संरचित हैं कि लयबद्ध सस्वर पाठ एक मधुर प्रवाह पैदा करता है। उपयोग की जाने वाली भाषा सरल लेकिन गहन है, जो इसे भक्तों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए सुलभ बनाती है। चालीसा मां लक्ष्मी के आह्वान के साथ शुरू होता है और उनके विभिन्न गुणों और विशेषताओं की प्रशंसा करते हुए छंदों के साथ जारी रहता है।
लक्ष्मी माता की चालीसा का महत्व और लाभ
धर्म और संस्कृति में माता लक्ष्मी को धन, समृद्धि, श्री, शक्ति, सौभाग्य, सौख्य, आदि की देवी माना जाता है। विभिन्न धर्मग्रंथों में लक्ष्मी देवी को भगवान् विष्णु की पत्नी माना जाता है और उन्हें धन की देवी भी कहा जाता है। लक्ष्मी माता के प्रति भक्ति और पूजा का महत्व अत्यंत उच्च है और लक्ष्मी चालीसा इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस लेख में हम लक्ष्मी चालीसा के महत्व, लाभ और इसके पाठ के बारे में विस्तार से जानेंगे।
लक्ष्मी चालीसा के पूर्ण पाठ की महत्त्व
लक्ष्मी चालीसा के पूर्ण पाठ का अद्यायन करने से भक्त को धन, समृद्धि, ऐश्वर्य, शक्ति, सौभाग्य, और सुख की प्राप्ति होती है। इसे प्रतिदिन पाठ करने से जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसका पूर्ण पाठ की महत्त्व इसमें वर्णित स्तुति, मंत्रों, और आरती के शब्दों में छिपी होती है।
लक्ष्मी चालीसा के लाभ
लक्ष्मी चालीसा के पाठ से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभ दिए जा रहे हैं:
- धन प्राप्ति: इसके पाठ से धन की प्राप्ति होती है और आर्थिक समस्याओं का समाधान मिलता है।
- समृद्धि: चालीसा के पाठ से समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- व्यापार में सफलता: यदि कोई व्यापारी इसका का पाठ करता है, तो उसके व्यापार में सफलता आती है और उसकी व्यापारिक स्थिति मजबूत होती है।
- शांति और सुख: लक्ष्मी चालीसा के पाठ से भक्त को शांति और सुख की प्राप्ति होती है। यह अशांति और तनाव को दूर करती है।
लक्ष्मी चालीसा का पाठ कैसे करें?
लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने के लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं:
- प्रारंभिक पूजा: चालीसा का पाठ करने से पहले आप पूजा के लिए अपनी इच्छा के अनुसार लक्ष्मी माता की मूर्ति या फोटो को सजाएं।
- स्नान और सुगंध: पूजा के लिए निर्धारित समय पर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। इसके बाद, चालीसा के पाठ के लिए अपने हाथों को सुगंधित करें।
- मन्त्रों का जाप: इसके पाठ से पहले लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः”।
- पूजा का पाठ: अपनी प्राथना सहित इनका पाठ करें। मन से और ध्यानपूर्वक पाठ करने से लाभ प्राप्त होता है।
- आरती: चालीसा के पाठ के बाद लक्ष्मी माता की आरती करें और उन्हें दीप, फूल और प्रसाद समर्पित करें।
लक्ष्मी चालीसा के फायदे
लक्ष्मी चालीसा के पाठ करने के कई फायदे हैं। यहां हम चालीसा के कुछ मुख्य फायदे देखेंगे:
- धन प्राप्ति: इनके पाठ से भगवान् विष्णु की कृपा मिलती है और धन की प्राप्ति होती है।
- विद्या का वरदान: चालीसा के पाठ से छात्रों को अधिक बुद्धिमान बनाने की क्षमता मिलती है और उनकी विद्या में सफलता आती है।
- सुख और शांति: इनके पाठ से मन में शांति और सुख का आभास होता है। यह चालीसा अशांति और संकट से मुक्ति दिलाती है।
- भविष्य में सुरक्षा: चालीसा के पाठ से भगवान् विष्णु की कृपा बनी रहती है और भविष्य में सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
- आर्थिक स्थिरता: इनके पाठ से आर्थिक स्थिरता और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। यह चालीसा व्यापार में सफलता और धन संबंधी मुद्दों का समाधान करती है।
Conclusion
इस प्रकार, लक्ष्मी चालीसा माता लक्ष्मी के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इसका पाठ करने से हम धन, समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति कर सकते हैं। चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से हमारा जीवन सुखमय और समृद्धि से भरा रहता है। सोचिए, क्या आप भी इस चालीसा का पाठ करके अपने जीवन में ऐश्वर्य और खुशहाली को आमंत्रित करना चाहेंगे? (See more in facebook)
FAQs
क्या कोई लक्ष्मी चालीसा का पाठ कर सकता है?
हां, इनका का पाठ कोई भी कर सकता है। यह उन सभी भक्तों के लिए खुला है जो माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन में समृद्धि को आमंत्रित करना चाहते हैं।
लक्ष्मी चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
इनका का पाठ करने की कोई निश्चित संख्या नहीं है। भक्त अपनी सुविधा और व्यक्तिगत भक्ति के अनुसार इसका पाठ करना चुन सकते हैं। कुछ इसका प्रतिदिन पाठ करते हैं, जबकि अन्य शुभ अवसरों या त्योहारों के दौरान इसका पाठ करना पसंद करते हैं।
क्या लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि आती है?
विश्वास और भक्ति के साथ लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से वित्तीय समृद्धि और प्रचुरता आती है। इसे धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने का एक तरीका माना जाता है।
क्या मुझे लक्ष्मी चालीसा के विभिन्न संस्करण मिल सकते हैं?
हां, विभिन्न संतों और कवियों द्वारा रचित लक्ष्मी चालीसा के विभिन्न संस्करण हैं। आप इन संस्करणों को पुस्तकों, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में देख सकते हैं या धार्मिक संस्थानों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
क्या लक्ष्मी चालीसा को सुनने से वैसा ही असर होता है जैसा इसे पढ़ने से होता है?
जी हां, लक्ष्मी चालीसा को भक्ति भाव से सुनने का वैसा ही प्रभाव हो सकता है जैसा इसका पाठ करने से। चालीसा के स्पंदन और दिव्य सार माँ लक्ष्मी के साथ एक आध्यात्मिक संबंध बना सकते हैं और उनके आशीर्वाद को आपके जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं।
माँ लक्ष्मी चालीसा का रचना किसने की है ?
श्री रामदास जी द्वारा रचित इसमें कुल चालीस श्लोक हैं, ये सभी श्लोक धन की देवी लक्ष्मी जी को समर्पित हैं।