श्री नाग स्तोत्र - Naag Stotra

श्री नाग स्तोत्र Naag Stotra

श्री नाग स्तोत्र एक दिव्य वैदिक स्तुति है जो नाग देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पित है। यह स्तोत्र विशेष रूप से सर्प दोष, कालसर्प योग एवं ग्रह पीड़ा से मुक्ति के लिए प्रभावी माना जाता है। नागों को प्रसन्न करने वाले इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सर्प भय, आकस्मिक दुर्घटनाओं एवं जीवन की बाधाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इसके नियमित जप से न केवल कुंडली के दोष शांत होते हैं, बल्कि धन-समृद्धि एवं दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। श्रद्धापूर्वक किया गया यह साधना अत्यंत फलदायी सिद्ध होता है।

Naag Stotra Lyrics – श्री नाग स्तोत्र

नाग स्तोत्र॥

अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च ।
सुमन्तुजैमिनिश्चैव पञ्चैते वज्रवारकाः ॥ 1 ॥

मुनेः कल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चापि कीर्तनात् ।
विद्युदग्निभयं नास्ति लिखितं गृहमण्डल ॥ 2 ॥

अनन्तो वासुकिः पद्मो महापद्ममश्च तक्षकः ।
कुलीरः कर्कटः शङ्खश्चाष्टौ नागाः प्रकीर्तिताः ॥ 3 ॥

यत्राहिशायी भगवान् यत्रास्ते हरिरीश्वरः ।
भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा ॥ 4 ॥

॥ इति श्रीनागस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

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