पार्वती चालीसा हिंदू धर्म में मां पार्वती की महिमा को गाती है। यह चालीसा उनकी पूजा एवं अर्चना का एक महत्वपूर्ण अंग है और उनके आराधकों द्वारा ध्यान से पढ़ी जाती है। इस चालीसा के माध्यम से भक्त पार्वती माता की कृपा को प्राप्त कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। चालीसा में पार्वती माता की स्तुति, उनके गुणों का वर्णन और उनके दिव्य रूप की महिमा किया गया है।
Maa Parvati Chalisa Hindi Lyrics – माँ पार्वती चालीसा पाठ
॥ दोहा ॥
जय गिरि तनये दक्षजे शंभु प्रिये गुणखानि ।
गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि ॥
॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे । पंच बदन नित तुमको ध्यावे ॥१॥
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो । सहसबदन श्रम करत घनेरो ॥२॥
तेऊ पार न पावत माता । स्थित रक्षा लय हित सजाता ॥३॥
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे । अति कमनीय नयन कजरारे ॥४॥
ललित ललाट विलेपित केशर । कुंकुम अक्षत शोभा मनहर ॥५॥
कनक बसन कंचुकी सजाए । कटि मेखला दिव्य लहराए ॥६॥
कंठ मदार हार की शोभा । जाहि देखि सहजहि मन लोभा ॥७॥
बालारुण अनंत छबि धारी । आभूषण की शोभा प्यारी ॥८॥
नाना जड़ित सिंहासन । तापर राजति हरि चतुरानन ॥९॥
इंद्रादिक परिवार पूजित । जग मृग नाग रक्ष रव कूजित ॥१०॥
गिर कैलास निवासिनी जय जय । कोटिक प्रभा विकासिन जय जय ॥११॥
त्रिभुवन सकल कुटुम्ब तिहारी । अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ॥१२॥
हैं महेश प्राणेश ! तुम्हारे । त्रिभुवन के जो नित रखवारे ॥१३॥
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब । सुकृत पुरातन उदित भए तब ॥१४॥
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी । महिमा का गावै कोउ तिनकी ॥१५॥
सदा श्मशान बिहारी शंकर । आभूषण है भुजंग भयंकर ॥१६॥
कण्ठ हलाहल को छबि छाई । नीलकंठ की पदवी पाई ॥१७॥
देव मगन के हित अस कीन्हों । विष लै आरपु तिनहि अमि दीन्हों ॥१८॥
ताकी तुम पत्नी छवि धारिणि । दूरित विदारिणि मंगल कारिणि ॥१९॥
देखि परम सौंदर्य तिहारो । त्रिभुवन चकित बनावन हारो ॥२०॥
भय भीता सो माता गंगा । लज्जा मय है सलिल तरंगा ॥२१॥
सौत समान शम्भु पहआयी । विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ॥२२॥
तेहिकों कमल बदन मुरझायो । लखि सत्वर शिव शीश चढ़ायो ॥२३॥
नित्यानंद करी बरदायिनी । अभय भक्त कर नित अनपायिनी ॥२४॥
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनि । माहेश्वरी हिमालय नंदिनि ॥२५॥
काशी पुरी सदा मन भायी । सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी ॥२६॥
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री । कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ॥२७॥
रिपुक्षय कारिणि जय जय अम्बे । वाचा सिद्ध करि अवलम्बे ॥२८॥
गौरी उमा शंकरी काली । अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ॥२९॥
सब जन की ईश्वरी भगवती । प्रतिप्राणा परमेश्वरी सती ॥३०॥
तुमने कठिन तपस्या कीनी । नारद सों जब शिक्षा लीनी ॥३१॥
अन्न न नीर न वायु अहारा । अस्थि मात्रतन भयौ तुम्हारा ॥३२॥
पत्र गहस को खाद्य न भायउ । उमा नाम तब तुमने पायउ ॥३३॥
तप बिलोकि रिषि सात पधारे । लगे डिगावन डिगी न हारे ॥३४॥
तब तव जय जय जय उच्चारेउ । सप्तरिषी निज गेह सिधारेउ ॥३५॥
सुर विधि विष्णु पास तब आए । वर देने के वचन सुनाए ॥३६॥
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों । चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों ॥३७॥
एवमस्तु कहि ते दोऊ गए । सुफल मनोरथ तुमने लए ॥३८॥
करि विवाह शिव सों हे भामा । पुन: कहाई हर की बामा ॥३९॥
जो पढ़िहै जन यह चालीसा । धन जन सुख देइहै तेहि ईसा ॥४०॥
॥ दोहा ॥
कूट चंद्रिका सुभग शिर जयति जयति सुख खानि ।
पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानि ॥
Parvati Chalisa Lyrics in Hindi PDF माँ पार्वती चालीसा PDF
Parvati Chalisa Lyrics in Hindi Image माँ पार्वती चालीसा
Parvati Chalisa Hindi Audio-Video
Table of Contents
पार्वती चालीसा का महत्त्व
आध्यात्मिक संयम
पार्वती चालीसा का पाठ करने से हमारा मन शांत होता है और हम आध्यात्मिक संयम की प्राप्ति करते हैं। माता पार्वती की कृपा से हमारी मनोदशा में सुधार होता है और हम अपने आंतरिक शांति का आनंद उठा सकते हैं।
शक्ति की प्राप्ति
माता पार्वती का पूजन और चालीसा का पाठ करने से हम शक्ति की प्राप्ति करते हैं। यह हमें उद्यमी बनाता है और हमारी सामर्थ्य में वृद्धि होती है। इससे हम सभी कठिनाइयों को पार करने की क्षमता प्राप्त करते हैं और जीवन में सफलता की ओर बढ़ते हैं।
पार्वती चालीसा का पाठ करने का तरीका
पार्वती चालीसा का पाठ करने के लिए आप निम्नलिखित तरीका अनुसरण कर सकते हैं:
- सबसे पहले शुद्ध मन और शरीर के साथ एक प्राकृतिक और शांतिपूर्ण स्थान चुनें।
- माता पार्वती की मूर्ति, चित्र या यंत्र के सामने बैठें।
- आध्यात्मिक उपकरणों का उपयोग करके अपने मन को शांत करें।
- प्रार्थना के बाद पार्वती चालीसा का पाठ शुरू करें।
- मन्त्रों को ध्यानपूर्वक और धैर्य से पढ़ें।
- चालीसा के पाठ के बाद आरती करें और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें।
- अपनी पूजा को समाप्त करें और माता पार्वती का आशीर्वाद लें।
पार्वती चालीसा के लाभ
पार्वती चालीसा का पाठ करने के कई लाभ होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण लाभों को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:
- माता पार्वती की कृपा से चित्त शांति मिलती है और मन को स्थिरता प्राप्त होती है।
- चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक संयम में सुधार होता है।
- यह पाठ स्वास्थ्य और शक्ति में वृद्धि करता है।
- माता पार्वती की कृपा से सभी कठिनाइयों को पार करने की क्षमता प्राप्त होती है।
- यह हमें संतुलित मनोवृत्ति और आत्मिक शांति की प्राप्ति कराता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
पार्वती चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए?
पार्वती चालीसा को शाम को कम से कम एक बार पढ़ना चाहिए। यदि संभव हो, तो आप इसे दोनों समयों (सुबह और शाम) पढ़ सकते हैं।
क्या पार्वती चालीसा को रोज़ाना पढ़ना चाहिए?
हां, पार्वती चालीसा को रोज़ाना पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है। यह आपको माता पार्वती की कृपा का आनंद देता है और आपकी आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करता है।
पार्वती चालीसा को किस समय पढ़ा जाता है?
पार्वती चालीसा को सुबह और शाम के समय पढ़ा जाता है। सुबह के समय इसे पढ़कर आप अपने दिन की शुरुआत कर सकते हैं और शाम को इसे पढ़कर आप अपने दिन की समाप्ति कर सकते हैं।
पार्वती चालीसा का पाठ करने से किस प्रकार का लाभ मिलता है?
पार्वती चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है, आध्यात्मिक संयम में सुधार होता है और शक्ति की प्राप्ति होती है। यह हमें सभी कठिनाइयों को पार करने की क्षमता प्रदान करता है और हमें आत्मिक शांति देता है।
क्या पार्वती चालीसा को किसी विशेष मौके पर ही पढ़ना चाहिए?
नहीं, पार्वती चालीसा को आप किसी भी समय पढ़ सकते हैं। हालांकि, माता पार्वती की पूजा और चालीसा का पाठ करने के दौरान एक शुद्ध और शांतिपूर्ण माहौल बनाने का प्रयास करें।