शिव शंकर स्तोत्र - SShiva Shankara Stotram

शिव शंकर स्तोत्र Shiva Shankara Stotram

शिव शंकर स्तोत्र एक दिव्य और प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे श्रद्धालु भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु श्रद्धा से पाठ करते हैं। यह स्तोत्र शिव के विविध स्वरूपों, गुणों और उनकी करुणा का वर्णन करता है, जिससे साधक को मानसिक शांति, आत्मिक उन्नति और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। इसके नियमित जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आत्मा में आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है। शिव को इसमें मृत्यु के समय रक्षक, पापों के विनाशक और मोक्ष प्रदायक के रूप में स्मरण किया जाता है। संस्कृत में रचित यह स्तोत्र हर पंक्ति में शिव भक्ति की गहराई को उजागर करता है।

Shiva Shankara Stotram Lyrics – शिव शंकर स्तोत्र

शिव शंकर स्तोत्र॥

अतिभीषणकटुभाषणयमकिंकरपटली- कृतताडनपरिपीडनमरणागतसमये ।
उमया सह मम चेतसि यमशासन निवसन् हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ १ ॥

असदिन्द्रियविषयोदयसुखसात्कृतसुकृतेः परदूषणपरिमोक्षण कृतपातकविकृतेः ।
शमनाननभवकानननिरतेर्भव शरणं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ २ ॥

विषयाभिधबडिशायुधपिशितायितसुखतो मकरायितगतिसंसृतिकृतसाहसविपदम् ।
परमालय परिपालय परितापितमनिशं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ३ ॥

दयिता मम दुहिता मम जननी मम जनको मम कल्पितमतिसन्ततिमरुभूमिषु निरतम् ।
गिरिजासख जनितासुखवसतिं कुरु सुखिनं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ४ ॥

जनिनाशन मृतिमोचन शिवपूजननिरतेः अभितोऽदृशमिदमीदृशमहमावह इति हा ।
गजकच्छपजनितश्रम विमलीकुरु सुमतिं हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ५ ॥

त्वयि तिष्ठति सकलस्थितिकरुणात्मनि हृदये वसुमार्गणकृपणेक्षणमनसा शिवविमुखम् ।
अकृताह्निकमसुपोषकमवताद् गिरिसुतया हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ६ ॥

पितरावतिसुखदाविति शिशुना कृतहृदयौ शिवया हृतभयके हृदि जनितं तव सुकृतम् ।
इति मे शिव हृदयं भव भवतात् तव दयया हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ७ ॥

शरणागतभरणाश्रितकरुणामृतजलधे शरणं तव चरणौ शिव मम संसृतिवसतेः ।
परिचिन्मय जगदामयभिषजे नतिरवतात् हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ८ ॥

विविधाधिभिरतिभीतिभिरकृताधिकसुकृतं शतकोटिषु नरकादिषु हतपातकविवशम् ।
मृड मामव सुकृती भव शिवया सह कृपया हर शंकर शिव शंकर हर मे हर दुरितम् ॥ ९ ॥

॥ इति शिव शंकर स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥

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