तारा स्तुति: जीवन को आर्थिक उन्नति की ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाली अद्भुत शक्ति। इसका मतलब है कि इस स्तुति के माध्यम से साधक तारा देवी की उपासना करता है और उसके शक्तियों को अपने जीवन में समाहित करता है। तारा स्तुति के पठन से जातक को एक नया आध्यात्मिक अनुभव होता है जो उसके जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित कर सकता है।
Tara Stuti Lyrics – तारा स्तुति
॥ तारा स्तुति॥
शव के हृदय पर
बायें पैर को आगे
दायें पैर को पीछे
वीरासन मुद्रा में
करती भयानक अट्टहास
भव सागर पार करानेवाली
माँ तारा
जय जय माँ तारा
स्वयं भयंकरी, चतुर्भुजी, त्रिनयना
हाथों में कटार, कपाल, कमल और तलवार
उच्च महाशक्ति, महाविद्या
हुंकार बीज उत्पकन्न कुबेर स्वरूपा
विशाल स्वरूपा ,नील शरीरा
सर्प जटा, बाघम्बरा
भाल पर चंद्रमा
दुश्मनों को दंडित करने वाली
साधक को सब कुछ देने वाली
करते हेँ हम उन्हें प्रणाम
निशि दिन लें तारा का नाम
Maa Tara ji ki Stuti Lyrics in Hindi PDF तारा स्तुति PDF
Tara Stuti Lyrics in Hindi Image
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