श्री विश्वकर्मा चालीसा | Shri Vishwakarma Chalisa

Vishwakarma Chalisa Lyrics in Hindi

विश्वकर्मा चालीसा एक हिन्दी भक्ति पाठ है जिसमें भगवान विश्वकर्मा की महिमा और उनकी पूजा की जाती है। विश्वकर्मा चालीसा का पाठ विशेष रूप से विश्वकर्मा पूजा और उनकी कृपा को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है। विश्वकर्मा चालीसा में विश्वकर्मा देवता की गुणगान, महिमा, और उनके शक्तियों का वर्णन होता है। इसमें उनकी पूजा के लिए मन्त्रों का समाहित होता है जो भक्त उच्चारण करते हैं। चालीसा का पाठ करने से भक्त विश्वकर्मा देवता की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं और उनकी सुरक्षा, सफलता, और सुख-शांति की कामना करते हैं।

Sri Vishwakarma Chalisa Lyrics Hindi – श्री विश्वकर्मा चालीसा पाठ

॥ दोहा ॥

श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥

॥ चौपाई ॥

जय श्री विश्वकर्म भगवाना। जय विश्वेश्वर कृपा निधाना॥ १

शिल्पाचार्य परम उपकारी। भुवना-पुत्र नाम छविकारी॥ २

अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर। शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर॥३

अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता। सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता॥४

अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं। कोई विश्व मंह जानत नाही॥५

विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा। अद्‍भुत वरण विराज सुवेशा॥६

एकानन पंचानन राजे। द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे॥७

चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे। वारि कमण्डल वर कर लीन्हे॥८

शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा। सोहत सूत्र माप अनुरूपा॥९

धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे। नौवें हाथ कमल मन मोहे॥१०

दसवां हस्त बरद जग हेतु। अति भव सिंधु मांहि वर सेतु॥११

सूरज तेज हरण तुम कियऊ। अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ॥१२

चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका। दण्ड पालकी शस्त्र अनेका॥१३

विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं। अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं॥१४

इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा। तुम सबकी पूरण की आशा॥१५

भांति-भांति के अस्त्र रचाए। सतपथ को प्रभु सदा बचाए॥१६

अमृत घट के तुम निर्माता। साधु संत भक्तन सुर त्राता॥१७

लौह काष्ट ताम्र पाषाणा। स्वर्ण शिल्प के परम सजाना॥१८

विद्युत अग्नि पवन भू वारी। इनसे अद्भुत काज सवारी॥१९

खान-पान हित भाजन नाना। भवन विभिषत विविध विधाना॥२०

विविध व्सत हित यत्रं अपारा। विरचेहु तुम समस्त संसारा॥२१

द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका। विविध महा औषधि सविवेका॥२२

शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला। वरुण कुबेर अग्नि यमकाला॥२३

तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ। करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ॥२४

भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका। कियउ काज सब भये अशोका॥२५

अद्भुत रचे यान मनहारी। जल-थल-गगन मांहि-समचारी॥२६

शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही। विज्ञान कह अंतर नाही॥२७

बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा। सकल सृष्टि है तव विस्तारा॥२८

रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा। तुम बिन हरै कौन भव हारी॥२९

मंगल-मूल भगत भय हारी। शोक रहित त्रैलोक विहारी॥३०

चारो युग परताप तुम्हारा। अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा॥३१

ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता। वर विज्ञान वेद के ज्ञाता॥३२

मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा। सबकी नित करतें हैं रक्षा॥३३

प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई। विपदा हरै जगत मंह जोई॥३४

जै जै जै भौवन विश्वकर्मा। करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा॥३५

इक सौ आठ जाप कर जोई। छीजै विपत्ति महासुख होई॥३६

पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा। होय सिद्ध साक्षी गौरीशा॥३७

विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे। हो प्रसन्न हम बालक तेरे॥३८

मैं हूं सदा उमापति चेरा। सदा करो प्रभु मन मंह डेरा॥३९

॥ दोहा ॥

करहु कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिवरूप।
श्री शुभदा रचना सहित, ह्रदय बसहु सूर भूप॥

Vishwakarma Chalisa Lyrics in Hindi PDF श्री विश्वकर्मा चालीसा PDF

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Vishwakarma Chalisa Lyrics in Hindi

Sri Vishwakarma Chalisa Hindi Audio-Video

विश्वकर्मा चालीसा: एक अद्भुत भक्ति कथा

भारतीय सांस्कृतिक धारोहर में हमें अनेक प्रकार की पूजाओं और उपासनाओं का सामर्थ्य मिलता है, जो हमारे जीवन को धार्मिकता और आध्यात्मिकता से भर देते हैं। इसी में से एक महत्वपूर्ण अंश है “विश्वकर्मा चालीसा”।

Devotion and Worship

विश्वकर्मा चालीसा को लोग अपनी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। इसका पाठ करने से उन्हें आध्यात्मिक संबंध महसूस होता है और वे इस भगवान की भक्ति में रूचि रखते हैं। चालीसा के पंक्तियों का विवेचन करके हम इसे और भी गहराई से समझ सकते हैं और देवों के प्रति अपनी भक्ति में वृद्धि कर सकते हैं।

Exploring the Verses

चालीसा के मुख्य श्लोकों की व्याख्या करके हम इसके अर्थों को समझ सकते हैं और इसे अपने जीवन में कैसे उतार सकते हैं। यह श्रद्धालुओं में कैसे आत्मविश्वास और सकारात्मक भावना को बढ़ावा देता है, उसे समझने में मदद करता है।

Conclusion (निष्कर्ष)

विश्वकर्मा चालीसा एक अद्वितीय भक्ति पाठ है जो हमें भगवान विश्वकर्मा के प्रति भक्ति और श्रद्धा की ऊँचाइयों तक पहुँचाता है। यह पाठ सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि कला और शिल्पकला के क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें समृद्धि, सौभाग्य, और सफलता की ओर प्रवृत्ति करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s)

क्या विश्वकर्मा चालीसा केवल कला और शिल्पकला क्षेत्र में ही महत्वपूर्ण है?

नहीं, विश्वकर्मा चालीसा धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि यह आपके जीवन के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जिसमें कला और शिल्पकला भी शामिल हैं।

क्या इसे कोई विशेष समय पर पढ़ना चाहिए?

नहीं, आप विश्वकर्मा चालीसा को जब चाहें पढ़ सकते हैं, लेकिन सुबह या सायंकाल में इसे पढ़ना अधिक फलकारी हो सकता है।

क्या इसके पठन से कोई अद्भुत लाभ है?

हां, विश्वकर्मा चालीसा के नियमित पाठ से अनेक लोगों ने सकारात्मक परिणाम देखे हैं, जैसे कि समृद्धि और सफलता।

क्या इसे रोज़ाना पढ़ना आवश्यक है?

नहीं, इसे आप अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ सकते हैं, लेकिन नियमितता से इसके आदर्श लाभ हो सकते हैं।