भारतीय संस्कृति में तुलसी की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसे घरों में पूजनीय, धार्मिक और आयुर्वेदिक उपचार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय संतान माना जाता है, और उसके चरणों में लगाने से विष्णु भक्ति की प्राप्ति होती है। तुलसी चालीसा भक्तों द्वारा तुलसी माता की स्तुति एवं महिमा का अद्भुत भक्ति संदेश है। यह चालीसा श्री तुलसी के भक्तों द्वारा प्रतिदिन पाठ की जाती है और इसे सुनकर भक्ति भाव और आत्मीयता का अनुभव होता है। तुलसी चालीसा के पाठ से मानसिक शांति, ध्यान संयम और आत्मिक उन्नति होती है। यह चालीसा भगवान विष्णु एवं तुलसी माता के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
Maa Tulsi Chalisa Lyrics Hindi – तुलसी माता चालीसा पाठ
॥ दोहा ॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी ।
नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥
श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब ।
जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ॥
॥ चौपाई ॥
धन्य धन्य श्री तलसी माता । महिमा अगम सदा श्रुति गाता ॥१॥
हरि के प्राणहु से तुम प्यारी । हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी ॥२॥
जब प्रसन्न है दर्शन दीन्ह्यो । तब कर जोरी विनय उस कीन्ह्यो ॥३॥
हे भगवन्त कन्त मम होहू । दीन जानी जनि छाडाहू छोहु ॥४॥
सुनी लक्ष्मी तुलसी की बानी । दीन्हो श्राप कध पर आनी ॥५॥
उस अयोग्य वर मांगन हारी । होहू विटप तुम जड़ तनु धारी ॥६॥
सुनी तुलसी हीँ श्रप्यो तेहिं ठामा । करहु वास तुहू नीचन धामा ॥७॥
दियो वचन हरि तब तत्काला । सुनहु सुमुखी जनि होहू बिहाला ॥८॥
समय पाई व्हौ रौ पाती तोरा । पुजिहौ आस वचन सत मोरा ॥९॥
तब गोकुल मह गोप सुदामा । तासु भई तुलसी तू बामा ॥१०॥
कृष्ण रास लीला के माही । राधे शक्यो प्रेम लखी नाही ॥११॥
दियो श्राप तुलसिह तत्काला । नर लोकही तुम जन्महु बाला ॥१२॥
यो गोप वह दानव राजा । शङ्ख चुड नामक शिर ताजा ॥१३॥
तुलसी भई तासु की नारी । परम सती गुण रूप अगारी ॥१४॥
अस द्वै कल्प बीत जब गयऊ । कल्प तृतीय जन्म तब भयऊ ॥१५॥
वृन्दा नाम भयो तुलसी को । असुर जलन्धर नाम पति को ॥१६॥
करि अति द्वन्द अतुल बलधामा । लीन्हा शंकर से संग्राम ॥१७॥
जब निज सैन्य सहित शिव हारे । मरही न तब हर हरिही पुकारे ॥१८॥
पतिव्रता वृन्दा थी नारी । कोऊ न सके पतिहि संहारी ॥१९॥
तब जलन्धर ही भेष बनाई । वृन्दा ढिग हरि पहुच्यो जाई ॥२०॥
शिव हित लही करि कपट प्रसंगा । कियो सतीत्व धर्म तोही भंगा ॥२१॥
भयो जलन्धर कर संहारा । सुनी उर शोक उपारा ॥२२॥
तिही क्षण दियो कपट हरि टारी । लखी वृन्दा दुःख गिरा उचारी ॥२३॥
जलन्धर जस हत्यो अभीता । सोई रावन तस हरिही सीता ॥२४॥
अस प्रस्तर सम ह्रदय तुम्हारा । धर्म खण्डी मम पतिहि संहारा ॥२५॥
यही कारण लही श्राप हमारा । होवे तनु पाषाण तुम्हारा ॥२६॥
सुनी हरि तुरतहि वचन उचारे । दियो श्राप बिना विचारे ॥२७॥
लख्यो न निज करतूती पति को । छलन चह्यो जब पारवती को ॥२८॥
जड़मति तुहु अस हो जड़रूपा । जग मह तुलसी विटप अनूपा ॥२९॥
धग्व रूप हम शालिग्रामा । नदी गण्डकी बीच ललामा ॥३०॥
जो तुलसी दल हमही चढ़ इहैं । सब सुख भोगी परम पद पईहै ॥३१॥
बिनु तुलसी हरि जलत शरीरा । अतिशय उठत शीश उर पीरा ॥३२॥
जो तुलसी दल हरि शिर धारत । सो सहस्त्र घट अमृत डारत ॥३३॥
तुलसी हरि मन रञ्जनी हारी । रोग दोष दुःख भंजनी हारी ॥३४॥
प्रेम सहित हरि भजन निरन्तर । तुलसी राधा में नाही अन्तर ॥३५॥
व्यन्जन हो छप्पनहु प्रकारा । बिनु तुलसी दल न हरीहि प्यारा ॥३६॥
सकल तीर्थ तुलसी तरु छाही । लहत मुक्ति जन संशय नाही ॥३७॥
कवि सुन्दर इक हरि गुण गावत । तुलसिहि निकट सहसगुण पावत ॥३८॥
बसत निकट दुर्बासा धामा । जो प्रयास ते पूर्व ललामा ॥३९॥
पाठ करहि जो नित नर नारी । होही सुख भाषहि त्रिपुरारी ॥४०॥
॥ दोहा ॥
तुलसी चालीसा पढ़ही तुलसी तरु ग्रह धारी ।
दीपदान करि पुत्र फल पावही बन्ध्यहु नारी ॥
सकल दुःख दरिद्र हरि हार ह्वै परम प्रसन्न ।
आशिय धन जन लड़हि ग्रह बसही पूर्णा अत्र ॥
लाही अभिमत फल जगत मह लाही पूर्ण सब काम ।
जेई दल अर्पही तुलसी तंह सहस बसही हरीराम ॥
तुलसी महिमा नाम लख तुलसी सूत सुखराम ।
मानस चालीस रच्यो जग महं तुलसीदास ॥
Tulsi Chalisa Lyrics in Hindi PDF तुलसी माता चालीसा PDF
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Table of Contents
तुलसी माता चालीसा क्या है?
तुलसी चालीसा, तुलसी माता को समर्पित एक प्रार्थना-स्तोत्र है। यह भक्तों द्वारा प्रतिदिन जाप किया जाता है। तुलसी चालीसा के पाठ से भक्तों को ध्यान में एकाग्र करके मन को शांति और संतुलन मिलता है। इसके पाठ से दुर्भाग्य का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।
तुलसी चालीसा के लाभ
- आत्मिक उन्नति: तुलसी चालीसा का नियमित पाठ करने से आत्मिक उन्नति होती है और मन को शांति मिलती है।
- भक्ति भाव विकसित होता है: तुलसी चालीसा के रूपी भक्ति संदेश से हृदय में भक्ति भाव विकसित होता है और व्यक्ति भगवान के प्रति समर्पण में लीन हो जाता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: तुलसी चालीसा का नियमित पाठ करने से शारीरिक रूप से स्वास्थ्य में सुधार होता है और बिमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- दैनिक जीवन में समृद्धि: तुलसी माता की कृपा से व्यक्ति के दैनिक जीवन में समृद्धि आती है और वह आर्थिक रूप से समृद्ध होता है।
तुलसी माता चालीसा का पाठ कैसे करें
तुलसी चालीसा को नियमित रूप से पाठ करने से पहले व्यक्ति को कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। प्रातःकाल और सायंकाल इस चालीसा का पाठ करने का विशेष महत्व होता है। एक स्थिर स्थान और पवित्र वातावरण में बैठकर चालीसा का पाठ करना उत्तम रहता है। इसके साथ ही चालीसा के पाठ के समय व्यक्ति को विष्णु भगवान एवं तुलसी माता का स्मरण भी करना चाहिए।
तुलसी माता चालीसा के बारे में रोचक तथ्य
- तुलसी चालीसा के रचयिता और मुख्यतः प्रसारित कर्ता श्री गोस्वामी तुलसीदास हैं।
- इस चालीसा में तुलसी माता की कृपा एवं अनुग्रह का वर्णन किया गया है, जो भक्तों के दिलों को मोह लेता है।
- तुलसी चालीसा को पाठ करने से व्यक्ति के आंतरिक शक्ति और सामर्थ्य में वृद्धि होती है।
Conclusion (निष्कर्ष)
तुलसी चालीसा तुलसी माता के प्रति विशेष भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह चालीसा भगवान विष्णु एवं तुलसी माता के अद्भुत संबंध को दर्शाती है और भक्तों को धार्मिक उन्नति, शारीरिक स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करती है। इस तुलसी चालीसा को पढ़कर और इसके महत्वपूर्ण भावों को समझकर भक्त अपने जीवन को सफलता और सुख-शांति की ओर प्रवृत्त होते हैं। तुलसी माता के अद्भुत आशीर्वाद से भरा यह चालीसा भक्तों के दिलों को छूती है और उन्हें धार्मिकता के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s)
तुलसी चालीसा को कितनी बार पढ़ना चाहिए?
तुलसी चालीसा को व्यक्ति रोज़ाना कम से कम एक बार पढ़ने का प्रयास करें।
तुलसी चालीसा का पाठ किस वक्त करें?
तुलसी चालीसा का पाठ प्रातःकाल और सायंकाल में करना शुभ माना जाता है।
तुलसी चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है?
तुलसी चालीसा का नियमित पाठ करने से आत्मिक उन्नति, भक्ति भाव का विकास, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार, और आर्थिक समृद्धि होती है।
तुलसी माता चालीसा का इतिहास क्या है?
तुलसी चालीसा का रचयिता और प्रसारित कर्ता श्री गोस्वामी तुलसीदास हैं। यह चालीसा तुलसी माता के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
तुलसी चालीसा के पाठ का क्या महत्व है?
तुलसी चालीसा के पाठ से भक्त के मन में भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ती है। इसके माध्यम से भक्त भगवान के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और सुकून का अनुभव करते हैं।