गणेश चालीसा भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाली पौराणिक कथाओं में से एक है। यह चालीसा प्रतिदिन भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का प्रतीक है और उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का मार्ग दर्शाती है। यह गीत संगठित रूप में बना होता है और बहुत सारे पंक्तियों से मिलकर यह चालीसा तैयार होती है। चालीसा में भगवान गणेश की महिमा, गुणों, आराध्यता और उनकी कृपा का वर्णन किया जाता है।
Ganesh Chalisa Lyrics in hindi : गणेश चालीसा दोहा
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभः काजू ॥ ०१ ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥ ०२ ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥ ०३ ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥ ०४ ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥ ०५ ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित ॥ ०६ ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥ ०७ ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे। मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥ ०८ ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुची पावन मंगलकारी ॥ ०९ ॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ १० ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥ ११ ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥ १२ ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥ १३ ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला ॥ १४ ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥ १५ ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै। पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥ १६ ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥ १७ ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥ १८ ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥ १९ ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा ॥ २० ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं ॥ २१ ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो। उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥ २२ ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥ २३ ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥ २४ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥ २५ ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी। सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥ २६ ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥ २७ ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥ २८ ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥ २९ ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ ३० ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥ ३१ ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥ ३२ ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥ ३३ ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥ ३४ ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई ॥ ३५ ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥ ३६ ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥ ३७ ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ ३८ ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ॥
गणेश चालीसा की उत्पत्ति और रचनाकार
गणेश चालीसा प्राचीन शास्त्रों में अपनी जड़ें पाता है और पीढ़ियों से एक पोषित भक्ति पाठ के रूप में पारित किया गया है। इस दोहे का रचनाकार रामसुंदर प्रभुदास है पर माना जाता है कि यह रचना कवि-संत तुलसीदास द्वारा लिखी गई थी, जो 16वीं शताब्दी के दौरान रहते थे। भगवान राम की भक्ति के लिए जाने जाने वाले तुलसीदास ने भी गणेश चालीसा की रचना के माध्यम से भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
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Table of Contents
भगवान गणेश का महत्व
भगवान गणेश हिन्दू धर्म में सबसे प्रसिद्ध और पूज्य देवता माने जाते हैं। उन्हें विद्या, बुद्धि, संपत्ति, सफलता, सुख, शांति और शुभ आरंभ के देवता के रूप में जाना जाता है। गणेश भगवान विघ्नहर्ता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं, जिन्हें विभिन्न कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना किया जाता है।
गणेश चालीसा हिन्दी भाषा में लिखी गई एक प्रार्थना है जो भगवान गणेश की महिमा, गुणों, और प्रार्थना का वर्णन करती है। यह चालीसा गणेश भक्तों द्वारा नियमित रूप से पढ़ी जाती है। इसके माध्यम से भक्त भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि वे उनके जीवन को समृद्ध, सुखी और सफल बनाएं।
चालीसा का अर्थ और उद्देश्य
गणेश चालीसा को पढ़ने या चंट करने के पीछे अर्थ और उद्देश्य होते हैं। यह चालीसा एक प्रार्थना है जिसके माध्यम से भक्त भगवान गणेश की आराधना करते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि वे उन्हें समस्त दुःखों और बाधाओं से मुक्त करें और सद्गति और सफलता प्रदान करें। इसके अलावा, चालीसा पढ़ने से भक्त का मन शांत होता है और उन्हें आध्यात्मिक एवं मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
गणेश चालीसा का जाप कैसे करें
गणेश चालीसा की पूर्ण शक्ति का अनुभव करने के लिए, इसके पाठ को सही मानसिकता और भक्ति के साथ करना महत्वपूर्ण है। जप शुरू करने से पहले एक शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण बनाएं। चारों ओर शुद्ध करने के लिए घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। एक आरामदायक मुद्रा में बैठें और अपना ध्यान भगवान गणेश के दिव्य रूप पर केंद्रित करें। चालीसा के प्रत्येक श्लोक का उच्चारण स्पष्टता, एकाग्रता और गहरी भक्ति के साथ करें। चालीसा का जाप सुबह या शाम के समय करने की सलाह दी जाती है, लेकिन आध्यात्मिक रूप से अनुकूल किसी भी समय ऐसा किया जा सकता है।
गणेश चालीसा के विशेष रूप से अर्थपूर्ण पंक्तियाँ
गणेश चालीसा का प्रत्येक पंक्ति अत्यंत महत्वपूर्ण है और उसमें गणेश भगवान की विभिन्न गुणों और महिमा का संक्षेप में वर्णन किया गया है। यहां हम कुछ विशेष पंक्तियों को देखेंगे जो चालीसा की महत्वपूर्ण बातें हैं:
मंगलमूर्ति मारुति नंदन
यह पंक्ति गणेश भगवान को मंगलकारी और प्रसन्नता के देवता के रूप में प्रदर्शित करती है। इसमें गणेश के स्वरूप का वर्णन किया गया है जो उन्हें शुभ और आशीर्वादमय बनाता है।
चार भुजा धारी
यह पंक्ति गणेश के चार भुजों की महिमा को बताती है जो उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर और सबके संयमी रूप में प्रकट करती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गणेश भगवान सभी दिशाओं में सामर्थ्यशाली हैं और सबकी सुरक्षा करते हैं।
पदमासना पूजित
इस पंक्ति में गणेश भगवान को पद्मासना में पूजित किया गया है, जो उनकी स्थिरता, स्थायित्व और ध्यान को प्रदर्शित करता है। यह बताता है कि भक्त गणेश को मन, शरीर और आत्मा की पूर्णता के साथ प्रार्थना करता है।
मोदक प्रिय
यह पंक्ति गणेश भगवान की प्रियतम भोग, मोदक, को संदर्भित करती है। मोदक उनके प्रसिद्ध भोग के रूप में जाना जाता है और इससे भक्त उन्हें प्रसन्न करते हैं।
इसी प्रकार, गणेश चालीसा में अन्य पंक्तियों में भी गणेश भगवान की अनुग्रहमयी गुणों, आराध्यता और महिमा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा भक्तों को गणेश भगवान की कृपा और आशीर्वाद का संदेश देती है।
गणेश चालीसा के लाभ
गणेश चालीसा के पाठ से अनेक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यह चालीसा भक्तों को मनोकामनाएं पूरी करने, बुराईयों का नाश करने, संकटों का निवारण करने, और आत्मिक शांति और सुख को प्राप्त करने में मदद करती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण उपयोग बताए जा रहे हैं:
- अकथ कथनीय: गणेश चालीसा का पाठ करने से गणेश भगवान की अकथ कथनीय शक्ति प्रकट होती है, जो भक्तों को उद्धार करती है।
- भक्तान वरदायक: गणेश चालीसा भक्तों को वरदान देने की क्षमता रखती है। यह उनकी मनोकामनाओं को पूरा करने में सहायता करती है।
- नित्य सुखदायक: यह चालीसा भक्तों को नित्य सुख और खुशियों की प्राप्ति करने में मदद करती है।
- जन गण मनद्वीप: गणेश चालीसा के पाठ से भक्त की आत्मा में आनंद और उज्ज्वलता का प्रकाशित होता है।
- विध्न हरने वाले: यह चालीसा भक्तों के जीवन से सभी बाधाओं और विघ्नों को हरने में सहायता करती है।
गणेश चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से भक्त को शुभ फल, स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह चालीसा गणेश भगवान के प्रति आस्था और विश्वास को मजबूत करती है और उनके कृपालु वरदान की प्राप्ति का सच्चा माध्यम है।
Conclusion
गणेश चालीसा भक्तों के द्वारा प्रियतम है और भगवान गणेश की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह चालीसा भक्तों को आनंद, सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है। गणेश चालीसा के पाठ के द्वारा, भक्त भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, गणेश चालीसा को नियमित रूप से पढ़ना या सुनना हमारे जीवन को समृद्ध, खुशहाल और सफल बनाने में मदद कर सकता है।
FAQ
गणेश चालीसा कब पठनी चाहिए?
गणेश चालीसा को शुभ मुहूर्त में पठना चाहिए, जैसे कि सुबह और शाम के समय।
क्या गणेश चालीसा को हर दिन पठना चाहिए?
हां, यह अच्छा होता है कि गणेश चालीसा को नियमित रूप से हर दिन पठा जाए।
क्या गणेश चालीसा का पाठ करने से केवल धार्मिक लाभ होगा?
नहीं, गणेश चालीसा का पाठ करने से सिर्फ धार्मिक लाभ ही नहीं होता है, बल्कि इससे मानसिक और शारीरिक लाभ भी मिलते हैं।
क्या गणेश चालीसा का पाठ करते समय कोई प्रतिबंध या दिशानिर्देश हैं?
कोई सख्त प्रतिबंध नहीं हैं, लेकिन शरीर और मन को साफ रखने की सलाह दी जाती है। चालीसा का पाठ करते समय नियमितता, ईमानदारी और सम्मान का पालन करना इसके प्रभाव को बढ़ाता है।