विष्णु चालीसा एक प्रमुख हिंदू धार्मिक पाठ है जो भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करती है। यह पाठ विष्णु भक्ति में अत्यंत प्रसिद्ध है और उसे नित्य पाठ करने से विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस प्रार्थना का अर्थ है कि जो भक्त विष्णु चालीसा का पाठ करता है, उसे सदैव सुखी और शांति प्राप्त होती है। विष्णु चालीसा को भगवान विष्णु के गुणों, महिमा और उनके अवतारों की मान्यताओं का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। इस पाठ को नियमित रूप से करने से मान्यता है कि भक्त की सभी आशाएं पूरी होती हैं और उसे आत्मिक सुख और मुक्ति मिलती है।
Shree Vishnu Chalisa Lyrics – श्री विष्णु चालीसा
॥ दोहा ॥
विष्णु सुनिए विनय, सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूँ, दीजै ज्ञान बताय॥
॥ चौपाई ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी। कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥१॥
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी। त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥२॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥३॥
तन पर पीताम्बर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत ॥४॥
शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥५॥
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥६॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥७॥
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥८॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥९॥
करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण ॥१०॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा ॥११॥
भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा ॥१२॥
आप वाराह रूप बनाया। हिरण्याक्ष को मार गिराया ॥१३॥
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया ॥१४॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया ॥१५॥
देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छबि से बहलाया ॥१६॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया। मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ॥१७॥
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया ॥१८॥
वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबन्ध उन्हें ढुँढवाया ॥१९॥
मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया ॥२०॥
असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ॥२१॥
हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई ॥२२॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी ॥२३॥
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥२४॥
देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥२५॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी ॥२६॥
तुमने धुरू प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥२७॥
गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥२८॥
हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥२९॥
देखहुँ मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥३०॥
चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन ॥३१॥
जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥३२॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥३३॥
करहुँ आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥३४॥
करहुँ प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहुँ समर्पण ॥३५॥
सुर मुनि करत सदा सिवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई ॥३६॥
दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई ॥३७॥
पाप दोष संताप नशाओ। भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥३८॥
सुत सम्पति दे सुख उपजाओ। निज चरनन का दास बनाओ ॥३९॥
निगम सदा ये विनय सुनावै। पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥४०॥
॥ दोहा ॥
भक्त हृदय में वास करें पूर्ण कीजिये काज ।
शंख चक्र और गदा पद्म हे विष्णु महाराज ॥
Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi PDF श्री विष्णु चालीसा PDF
Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi Image
Vishnu Chalisa Hindi Audio-Video
विष्णु चालीसा का महत्व
विष्णु चालीसा का पाठ करने से विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्तोत्र भक्तों को मन की शांति, सुख, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति में सहायता करता है। विष्णु चालीसा के पाठ से मनुष्य के दुःखों और भयों का निवारण होता है और विष्णु की कृपा से समस्त कष्टों का नाश होता है। यह स्तोत्र भक्तों को धार्मिकता, आत्मिक संवेदना और अंतर्मुखी भावना का विकास करने में सहायता करता है।
विष्णु चालीसा के भावार्थ
विष्णु चालीसा के पाठ के द्वारा विष्णु के गुणों और महिमा का अनुभव होता है। इसमें विष्णु के दिव्य स्वरूप का वर्णन, उनके विभूतियों का वर्णन और उनके लीलाओं का वर्णन किया गया है। विष्णु चालीसा में भक्त की भावनाओं का प्रतिपादन किया गया है और उसकी प्रार्थना की गई है कि विष्णु उसे सदैव संरक्षण दें। यह स्तोत्र भक्तों को दिव्यता के अनुभव और आंतरिक शांति का अनुभव कराता है।
विष्णु चालीसा के लाभ
- मानसिक शांति और स्थिरता: विष्णु चालीसा के पाठ से मन की शांति और स्थिरता मिलती है। यह चालीसा मन को शुद्ध करके चिंताओं और तनाव से मुक्ति प्रदान करती है।
- दुःखो का निवारण: विष्णु चालीसा के नियमित पठन से हमारे सभी दुःखों का निवारण होता है। भक्तों को भयमुक्ति, रोगमुक्ति और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त होती है।
- धार्मिकता और आदर्श जीवन: विष्णु चालीसा के पाठ से व्यक्ति की धार्मिकता और आदर्श जीवन की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र भक्त को सत्य, न्याय, और कर्मयोग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
विष्णु चालीसा कब पढ़नी चाहिए?
विष्णु चालीसा को प्रतिदिन सुबह और शाम पढ़ना चाहिए। यह चालीसा भक्तों को सुरक्षा, समृद्धि, और संतोष की प्राप्ति में सहायता करती है।
विष्णु चालीसा का पाठ कैसे करें?
विष्णु चालीसा को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ना चाहिए। इसे सुकूमर स्थिति में बैठकर या मंदिर में पढ़ सकते हैं। ध्यान रखें कि स्थान साफ़ और शांत होना चाहिए।
क्या विष्णु चालीसा का पाठ केवल हिंदी में ही किया जा सकता है?
नहीं, विष्णु चालीसा को अन्य भाषाओं में भी पढ़ा जा सकता है। आप अपनी आसानी के अनुसार अपनी मातृभाषा में विष्णु चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
क्या विष्णु चालीसा के पाठ से कोई विशेष लाभ होता है?
विष्णु चालीसा के पाठ से भक्तों को मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें आनंद, शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह चालीसा भक्त की आध्यात्मिकता और आत्मविश्वास को भी बढ़ाती है।
निष्कर्ष Conclusion
विष्णु चालीसा एक महान प्रार्थना-स्तोत्र है जिसे विष्णु की प्रशंसा के लिए गाया जाता है। इस चालीसा के पाठ से भक्तों को आनंद, सुख, और शांति की प्राप्ति होती है। यह चालीसा धार्मिकता, आत्मिक संवेदना और आदर्श जीवन के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।