श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्तुति Sri Chandrasekharendra Saraswati Stuti

Sri Chandrasekharendra Saraswati Stuti - श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्तुति

श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती की स्तुति, जिसे श्री विजयेन्द्र सरस्वती ने संकलित किया है, एक पवित्र आध्यात्मिक रचना है जो वेदों, उपनिषदों और पुराणों के अनुसार धर्म के पथ पर चलने वाले गुरुवर की महिमा का गान करती है। इस ग्रंथ में भक्ति भाव, ज्ञान की गहराई और धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाने वाले ज्ञानी गुरु का वर्णन है। यह स्तुति निर्विकल्प समाधि के आनंद और संतों के निस्वार्थ सेवा की भावना से ओत-प्रोत है। इसके द्वारा गुरु के प्रति कृतज्ञता और उनके द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य ज्ञान का आदर किया गया है। यह स्तुति भक्तों को आत्मिक शांति और मन की पवित्रता की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

Sri Chandrasekharendra Saraswati Stuti Lyrics – श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्तुति

॥ श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्तुति॥

तिस्मृतिपुराणोक्तधर्ममार्गरतं गुरुम् ।

भक्तानां हितवक्तारं नमस्ते चित्तशुद्धये ॥१॥

अद्वैतानन्दभरितं साधूनामुपकारिणम् ।

सर्वशास्त्रविदं शान्तं नमस्ते चित्तशुद्धये ॥२॥

धर्मभक्तिज्ञानमार्गप्रचारे बद्धकङ्कणम् ।

अनुग्रहप्रदातारं नमस्ते चित्तशुद्धये ॥३॥

भगवत्पादपादाब्जविनिवेशितचेतसः ।

श्रीचन्द्रशेखरगुरोः प्रसादो मयि जायताम् ॥४॥

क्षेत्रतीर्थकथाभिज्ञः सच्चिदानन्दविग्रहः ।

चन्द्रशेखरवर्यो मे सन्निधत्ता सदा हृदि ॥५॥

पोषणे वेदशास्त्राणां दत्तचित्तमहर्निशम् ।

क्षेत्रयात्रारतं वन्दे सद्गुरुं चन्द्रशेखरम् ॥६॥

वेदज्ञान् वेदभाष्यज्ञान् कर्तुं यस्य समुद्यमः ।

गुरुर्यस्य महादेवः तं वन्दे चन्द्रशेखरम् ॥७॥

मणिवाचकगोदादि भक्तिवागमृतैर्भृशम् ।

बालानां भगवद्भक्तिं वर्धयंतं गुरुं भजे ॥८॥

लघूपदेशैर्नास्तिक्यभावमर्दन कोविदम् ।

शिवं स्मितमुखं शान्तं प्रणतोऽस्मि जगद्गुरुम् ॥९॥

विनयेन प्रार्थयेऽहं विद्यां बोधय मे गुरो ।

मार्गमन्यं न जानेऽहं भवन्तं शरणं गतः ॥१०॥

॥ इति श्री विजयेन्द्रसरस्वति रचितम् श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्तुति सम्पूर्णम् ॥